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लेखनी प्रतियोगिता -06-Apr-2023


बस एक निगाह से उसने ये काम कर डाला
मैं बादशाह था मुझको गुलाम कर डाला।

नजर उठाई तो चिरागों में रोशनी भर दी
नजर झुकाकर दोपहरी को शाम कर डाला।

यूं तो हर रोज के जैसा गिलास और पानी था
उसने हाथों से पिलाया तो जाम कर डाला।

हटा के पर्दा दो पल को मुझे देखा तो
भरे शहर ने चर्चा तमाम कर डाला।


 

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4 Comments

Gunjan Kamal

09-Apr-2023 08:41 PM

बहुत खूब

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Sachin dev

07-Apr-2023 06:23 PM

Nice

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Wahh Bahut hi सुन्दर सृजन

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